उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद त्योंथर तहसील मुख्यालय से सटे तालाबों, जिसमें रावणा मैदान का तालाब, महतेली तालाब, हडिया तालाब, रखिदवा, चिल्ला, ढेढर के गोंदिया तालाब, तुर्का तालाब जो वार्ड नं 15 में आता है, जैसे तालाबो पर सरहंगई पूर्वक भूमाफियाओं ने कब्जा जमाया हुया है। रावणा मैदान तालाब जिसे चिल्ड्रेन पार्क भी कहा जाता है, उसमें कूप का भी अतिक्रमण कर लिया गया जो की बहुत पुराना कूप माना जाता है। जिससे कभी पूरे नगर को पीने का पानी मिलता रहा है अब वो अतिक्रमण के चपेटे में है। जहां से लगभग प्रतिदिन आला अधिकारियो का आना जाना भी लगा रहता है। कुछ तालाबो को पाटकर पहले कच्चे मकान बनाये गए, उसके बाद चोरी छुपे उन्हें पक्के मकानो में तब्दील करने का निरन्तर निर्माण कार्य देखा जा सकता है। समय – समय पर अनुविभागीय दंडाधिकारी त्योंथर के द्वारा नोटिस भी जारी होती रही है लेकिन तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद स्थानीय प्रशासन तालाबों से अतिक्रमण हटबाने में असफल दिख रहा है तो दूसरी तरफ अवैध कब्जेधारियों द्वारा ऐतिहासिक तालाबों के अस्तित्व को ही समाप्त करते देखा जा सकता है। अन्य तालाबों के हालात भी खस्ता हैं। अगर रखिदवा तालाब की बात करें तो वहां पर आरा मशीन संचालित हो रही है जबकि कई बार सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में खबरें भी प्रकाशित होती रही हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक ही बना रहा है। कड़े कानून होने के बावजूद ऐतिहासिक तालाब अपने अस्तित्व को खोते जा रहे हैं और प्रशासन पस्त है जबकि भूमाफिया मस्त है। आखिरकार ऐसे भूमाफियाओ को किनका संरक्षण प्राप्त है, जिससे तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा रहा है ? यह तो देखने वाली बात होगी कि तालाब अतिक्रमण मुक्त हो पाएंगे या इसी तरह इतिहास पर अतिक्रमण का खेल चलता रहेगा। इतना ही नहीं तहसील क्षेत्र के कई गावों में कई ऐतिहासिक तालाब अपना दम तोड़ चुके हैं। जिसमें फरहदी, बड़ागांव, पुरवा, डीही आदि शामिल है। अगर समय रहते अतिक्रमण पर क़ानूनी कार्यवाई नहीं की गई तो तालाबों का अस्तित्व महज कागजों में डायनसोर की तरह बताया जायेगा।
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