रीवा। विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर त्योंथर 70 में सियासी घमासान जारी है। कभी बड़े पार्टियों के नेताओं में घमासान तो कभी समाजसेविओं का सियासी फरमान त्योंथर 70 को प्रदेश स्तर कि राजनीति में एक अलग स्थान देता है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा समेत अन्य दलों द्वारा अपने – अपने उम्मीदवारों कि सूची जारी कर दी गई है। जिसमें त्योंथर 70 से भाजपा उम्मीदवार सिद्धार्थ तिवारी, कांग्रेस उम्मीदवार रमाशंकर सिंह पटेल, सपा उम्मीदवार त्रिनेत्र शुक्ल, बसपा उम्मीदवार ठाकुर देवेंद्र सिंह मैदान में उतर चुके हैं। इन सब के अलावा कई अन्य लोग भी सियासी मैदान में उतरने के लिए तैयार हो चुके हैं। सियासी बयार कि माने तो चुनावी मैदान में उतरने वाले कई चेहरों में से दो अहम् नाम कौशलेश तिवारी तिवारी लाल और कमांडो अरुण गौतम का है। जहाँ कौशलेश तिवारी तिवारी लाल जी पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय रमाकांत तिवारी जी के पुत्र हैं तो वहीं कमांडो अरुण गौतम कमांडो सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जो कि क्षेत्र में काफी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। कमांडो अरुण गौतम को अक्सर पीड़ित, उपेक्षित, कमजोर लोगों के बीच ही देखा गया है। जानकरों कि माने तो उनके तेज तर्रार कार्य करने के तरीके और सामजिक लड़ाई के चलते उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) भी लगाया जा चूका है। इतने बड़े झटके बावजूद जेल से छूटने के बाद फिर से कमांडो अरुण गौतम कि सक्रियता ने सियासत के गलियारों में खलबली मचानी शुरू कर दी थी। जिसके बाद कमांडो अरुण गौतम ने कई जमीनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू कर दिया। हाल ही में कमांडो अरुण गौतम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में उम्मीदवार के तौर पर उतरने कि घोषणा कर दी है। हालाँकि वो किस पार्टी से चुनाव में उतरेंगे ये साफ नहीं हुआ है लेकिन उनकी घोषणओं ने उनके चुनाव में उतरने के इरादे को जग जाहिर कर दिया है।
सियासती पावदान में पीड़ित उनके साथ
कमांडो अरुण गौतम का चुनावी मैदान में उतरना कई उम्मीदवारों के लिए भारी पड़ सकता है। जिसके पीछे कि वजह क्षेत्र में बड़ी संख्या में निवासरत हरिजन – आदिवासी समाज में उनकी सक्रियता और उनके हक़ कि लड़ाई के लिए निरंतर प्रयास बताया जा रहा है। लोगों के बीच चल रही सुगबुगाहट पर अगर गौर करें तो कमांडो अरुण गौतम को लेकर चर्चा जोरों पर है। अब ऐसे में अगर वो चुनावी मैदान में उतरेंगे तो जाहिर है बड़ी संख्या में दूसरे उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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